प्याज एक कंद है। कुछ लोग इसे 'कांदा ' कहकर भी पुकारते हैं। जैन धर्मावलंबी ,मथुरहा चौबे इसकी गंध तथा रात्रि को हानिकारक प्रभाव के कारण जीवनभर इसका उपयोग नहीं करते।
प्याज दो प्रकार की होती है - एक लाल और दूसरी सफेद। इनमें से अधिक औषधीय गुण वाली प्याज सफेद होती है। प्याज के डंठल तथा बीज सभी उपयोगी हैं। इसके बीजो को करायल कहा जाता है। डंठलों में विटामिन ए भरपूर मात्रा में होता है जिससे नेत्र रोगों व रतौंधी में लाभ होता है।
प्याज के सेवन में परेशानी का कारण है इसकी गंध। परन्तु यदि प्याज खाने के बाद यदि सूखा धनिया खा लिया जाये तो इसकी गंध नहीं आती। एक सीमित मात्रा में प्याज शारीरिक क्षमता में वृद्धि करती है जबकि अधिक मात्रा में सेवन से हानि पहुँचाती है। प्याज को गरीबों की कस्तूरी कहा जाता है।
प्याज के औषधीय प्रयोग -
प्याज का उपयोग भारत में हजारों वर्षों से भोजन व चिकित्सा में होता आया है। वेदों, पुराणों और आयुर्वेद में इसका प्रचुरता से उल्लेख है। प्याज के अनगिनत फायदे हैं जिनमे से कुछ का वर्णन निम्न है
हृदय रोग में -
यदि 100 ग्राम प्याज के रस का प्रातः खाली पेट उपयोग किया जाये तो रक्त में कोलस्ट्रोल की मात्रा घटाकर नस-नाड़ियों में रक्त-प्रवाह को आसान बनाता है।
रक्ताल्पता-
प्याज का लौह तत्व सीधा ही हजम होकर रक्त-वृद्धि में सहायक होता है। यदि प्याज का 50 ग्राम रस , आधा नींबू और 20 ग्राम शहद मिलाकर प्रातः सेवन किया जाए तो रक्त का पानी में बदलना (थैलीसीमिया) पीलिया , रक्त की अशुद्धियाँ आदि में लाभ होता है।
श्वास-दमा -
प्रातः खाली पेट लगभग 30 ग्राम प्याज का रस तथा 30 ग्राम शहद मिलाकर पीने से श्वास रोगों तथा दमा में एक माह बाद ही बहुत लाभ होता है।
दंत रोग-
कच्ची प्याज को दाँतों से तीन मिनट तक चबाते रहने से साँस की दुर्गंध और दाँतों के अनेक रोग दूर हो जाते हैं।
कान का दर्द -
कान में दर्द होने पर दो तीन बून्द प्याज का रस हल्का गर्म करके डालने से लाभ होता है। यदि तुरंत लाभ चाहिए तो प्याज के गुनगुने रस में चावल के दाने से भी कम मात्रा में अफीम मिलाकर कान में डाल दें तुरंत दर्द बंद।
हैजा , डायरिया -
कैसी भी उग्र दशा हो दोपहर तीन बजे तक यह प्रयोग अवश्य कर लें - 50 ग्राम प्याज का रस , 50 ग्राम शहद , 5 ग्राम काला नमक और 10 ग्राम काली मिर्च पीसकर आधा लीटर पानी में शर्बत बना लें। बार-बार इसकी खुराकें देते रहें। शाम 5 बजे के बाद यह प्रयोग भूलकर भी न करें। शीघ्र ही उलटी दस्त बंद हो जायेंगे।
कामशक्ति -
सफेद प्याज को छीलकर बारीक काट लें और शुद्ध मक्खन में लाल होने तक तलें। शहद मिलाकर रोज सुबह खाएं।
दूसरा प्रयोग - उड़द की दाल का आटा प्याज के रस से सात दिन तक भिगोते रहें। सातवें दिन इसे छाया में सुखाएँ। इसका खाली पेट सुबह को कुछ दिन तक नियमित सेवन करें। इस प्रयोग से वृद्ध या नपुंसक में भी काम-शक्ति ज्वार उठने लगेगा।
पैरों में बिवाई होने पर -
प्याज को पीसकर बिवाइयों में भर लें। इससे कुछ ही दिनों में बिवाई फटनी बंद हो जायेगी।
जलन होने पर -
शरीर में , हाथ -पैरों में जलन होने पर प्याज के रस में दही मिलाकर खाएं या दही में प्याज काटकर खाएं।
स्वप्नदोष में -
स्वप्नदोष की अधिकता में बीस ग्राम प्याज के रस में तीन ग्राम हल्दी चूर्ण तथा पाँच ग्राम शहद मिला लें। सुबह और शाम चाटें। 15 -20 दिन में ही समस्या समाप्त हो जाएगी। तेल , खटाई और नशीले पदार्थ न लें।
शीघ्रपतन -
शीघ्रपतन की समस्या में एक चम्मच सफेद प्याज का रस और एक चम्मच शहद प्रातः खाली पेट और शाम 5 बजे दोनों समय लें। एक घंटे तक कुछ नहीं खाएं।
खांसी में -
कफयुक्त खांसी में एक प्याज का रस , तीन ग्राम लहसुन का रस , थोड़ा गर्म कर शहद मिलाकर दो तीन बार दिन में चाटें।