अदरक एक बहुत ही उपयोगी कंद है। भोजन में ,चटनी में , स्वाद बढ़ाने में इसकी बराबरी करने वाला शायद ही कोई अन्य कंद हो। अदरक का प्रयोग स्वाद और उपचार दोनों के लिए किया जाता है। अदरक के ही सूखे हुए रूप को सोंठ कहते हैं केवल अंतर इतना है की सोंठ अदरक का सुखाया हुआ भाग है लेकिन दोनों के गुण समान हैं।
गुण :- अदरक में लौह तत्व लहसुन से दोगुना तथा प्याज से चौगुना होता है। अदरक में फाइबर भी अधिक होता है।
अदरक में बहुत सारे विटामिन्स के साथ -साथ मैग्नीशियम , कैल्शियम और पोटेशियम भी पाया जाता है।
औषधीय उपयोग :-
(1) कान दर्द -
कैसा भी कान दर्द हो , अदरक का रस गुनगुना करके कान में डालने से दर्द बंद हो जाता है।
(2) जुकाम या गला बैठने पर -
अदरक का रस व शहद समान मात्रा में गुनगुना करके चाटने से आराम मिलता है।
(3) दस्त व डायरिया -
50 ग्राम उबलते हुए पानी में एक चम्मच अदरक का रस डालकर आग से उतार लें। ठंडा होने पर पी लें। दिन में तीन चार बार यह प्रयोग करने से दस्त की समस्या दूर हो जाती है।
(4) अपच के दस्त-
अपच के दस्त लगने पर अदरक का रस नाभि में डालने से और ऊँगली से मलने से तुरंत ही आराम मिलता है।
(5) खाँसी-
अदरक का एक चम्मच रस व एक चम्मच शहद साथ मिलाकर तीन - तीन घंटे बाद चाटते रहने से खांसी दूर हो जाती है।
(6) गैस विकार या अपच -
अदरक को नींबू के रस में मिलाकर सेवन करने से पेट संबंधी समस्या दूर होती है।
(7) उल्टियों में -
एक चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच प्याज का रस थोड़े पानी में बार-बार पिलाते रहने से उल्टी दूर होती हैं साथ ही खट्टी डकारों में भी आराम आता है।
(8) हृदय रोग -
अदरक का रस प्रतिदिन पीने से हृदय के रोग दूर होते हैं और ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रहता है।
अदरक का एक अद्भुत प्रयोग -
अदरक को अच्छी तरह साफ़ करके छिलका उतार लें और चाक़ू से पतले-पतले टुकड़े काट लें। फि इसे काँच के मर्तबान में दाल दें और इस पर इतना नींबू निचोड़ दें की अदरक डूब जाए। स्वाद के अनुसार इसमें नमक , हल्दी ,जीरा और काली मिर्च दाल दें तथा तेल के स्थान पर शुद्ध घी डालें।भोजन के साथ इसका उपयोग करें यह अचार एक अद्भुत दवा है जो बहुत से रोगों को दूर भगाती है साथ ही भोजन का स्वाद भी बढ़ाती है।
अदरक का अन्य रूप : सोंठ -
सोंठ, अदरक का ही सूखा हुआ रूप है , इसलिए गीली सोंठ को अदरक और सूखी अदरक को सोंठ कहते हैं दोनों के गुण भी समान हैं। सोंठ का उपयोग हर घर में मसाले के रूप में सदियों से होता हुआ आया है। सोंठ मसाले के साथ -साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर है। सांस , कांस खांसी , सूजन , हृदय रोग,बवासीर , उदर रोग और वात रोग की तो यह महाऔषधि है। तो आइये इसके औषधीय गुणों को देखते हैं -
(1) हिचकी आने पर -
हिचकी आने लगे तो सोंठ और छोटी हरड़ को पानी में घिसकर इसका गाढ़ा लेप जो लगभग एक चम्मच हो एक कप गुनगुने पानी में घोलकर पिलाने से हिचकी बंद हो जाती हैं।
या , पुराने गुड़ में थोड़ी सी सोंठ का चूर्ण मिलाकर सूंघने से हिचकी आना बंद होता है।
(2) कमर दर्द या कूल्हों का दर्द -
(क)सोंठ को मोटा कूटकर दो कप पानी में उबाल लें , जब आधा कप पानी बचे तो उतारकर ठंडा करके इसमें दो चम्मच अरंडी का तेल (कैस्टर ऑयल) शाम को भोजन के दो घंटे बाद ले लें।
(ख)अजवायन , मेथी , सोंठ -प्रत्येक 50-50 ग्राम का चूर्ण बनाए और मिलाकर रख लें। इस मिश्रण की 2 -2 ग्राम मात्रा दिन में दो बार गुनगुने पानी से लें।
(3) आमवात में -
सोंठ और गिलोय को बराबर मात्रा में लेकर दो कप पानी में उबाल लें। आधा कप पानी रहने पर ठंडा करके छानकर पी जाएं। यह प्रयोग प्रतिदिन प्रातः भोजन के एक या दो घंटे बाद करें। कुछ दिन में ही आमवात समूल नष्ट हो जाता है।
(4) पेट में आंव बनने पर -
अपच के कारण पेट में आंव बन जाता है। इस आंव को नष्ट करने के लिए पाव भर दूध में आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण डालकर उबाल लें। ठंडा करके 3 -4 दिन सोते समय पीने से आंव बनना समाप्त हो जाता है।
(5) मंदाग्नि होने पर -
सोंठ का आधा चम्मच चूर्ण थोड़े से गुड़ में मिलाकर भोजन के एक घंटे बाद कुछ दिन सेवन करने से मंद पड़ी हुई अग्नि तीव्र हो जाती है और भोजन का पाचन सही प्रकार से होने लगता है।
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