रविवार, 26 जुलाई 2020

प्याज : एक कमाल की औषधि ;Onion: A Wonderful Medicine-

प्याज : एक कमाल की औषधि ;Onion: A Wonderful Medicine-
     प्याज एक कंद है। कुछ लोग इसे 'कांदा ' कहकर भी पुकारते हैं।   जैन धर्मावलंबी ,मथुरहा चौबे इसकी गंध तथा रात्रि को हानिकारक प्रभाव के कारण जीवनभर इसका उपयोग नहीं करते। 

    प्याज दो प्रकार की होती है - एक लाल और दूसरी सफेद। इनमें से अधिक औषधीय गुण वाली प्याज सफेद होती है। प्याज के डंठल तथा बीज सभी उपयोगी हैं।  इसके बीजो को करायल कहा जाता है। डंठलों में विटामिन ए भरपूर मात्रा में होता है जिससे नेत्र रोगों व रतौंधी में लाभ होता है। 

   प्याज के सेवन में परेशानी का कारण है इसकी गंध।  परन्तु यदि प्याज खाने के बाद यदि सूखा धनिया खा लिया जाये तो इसकी गंध नहीं आती।  एक सीमित मात्रा में प्याज शारीरिक क्षमता में वृद्धि करती है जबकि अधिक मात्रा में सेवन से हानि पहुँचाती है।  प्याज को गरीबों की कस्तूरी कहा जाता है। 

प्याज के औषधीय प्रयोग -
            प्याज का उपयोग भारत में हजारों वर्षों से भोजन व चिकित्सा में होता आया है। वेदों, पुराणों और आयुर्वेद में इसका प्रचुरता से उल्लेख है। प्याज के अनगिनत फायदे हैं जिनमे से कुछ का वर्णन निम्न है 

हृदय रोग में -
         यदि 100 ग्राम प्याज के रस का प्रातः खाली पेट उपयोग किया जाये तो रक्त में कोलस्ट्रोल की मात्रा घटाकर नस-नाड़ियों में रक्त-प्रवाह को आसान बनाता है। 

रक्ताल्पता-
          प्याज का लौह तत्व सीधा ही हजम होकर रक्त-वृद्धि में सहायक होता है।  यदि प्याज का 50 ग्राम रस , आधा नींबू  और 20 ग्राम शहद मिलाकर प्रातः सेवन किया जाए तो रक्त का पानी में बदलना (थैलीसीमिया) पीलिया , रक्त की अशुद्धियाँ आदि में लाभ होता है।  

श्वास-दमा -
            प्रातः खाली पेट लगभग 30 ग्राम प्याज का रस तथा 30 ग्राम शहद मिलाकर पीने से श्वास रोगों तथा दमा में एक माह बाद ही बहुत लाभ होता है। 

दंत रोग-
      कच्ची प्याज को दाँतों से तीन मिनट तक चबाते रहने से साँस की दुर्गंध और दाँतों के अनेक रोग दूर हो जाते हैं। 

कान का दर्द -
           कान में दर्द होने पर दो तीन बून्द प्याज का रस हल्का गर्म करके डालने से लाभ होता है। यदि तुरंत लाभ चाहिए तो प्याज के गुनगुने  रस में चावल के दाने से भी कम मात्रा में अफीम मिलाकर  कान में डाल दें तुरंत दर्द बंद। 

हैजा , डायरिया -
       कैसी भी उग्र दशा हो दोपहर तीन बजे तक यह प्रयोग अवश्य कर लें - 50 ग्राम प्याज का रस , 50 ग्राम शहद , 5 ग्राम काला नमक और 10 ग्राम काली मिर्च पीसकर आधा लीटर पानी में शर्बत बना लें।  बार-बार इसकी खुराकें देते रहें। शाम 5 बजे के बाद यह प्रयोग भूलकर भी  न करें। शीघ्र ही उलटी दस्त बंद हो जायेंगे। 

कामशक्ति -
           सफेद प्याज को छीलकर बारीक काट लें और शुद्ध मक्खन में लाल होने तक तलें।  शहद मिलाकर रोज सुबह खाएं। 
दूसरा प्रयोग - उड़द की दाल का आटा प्याज के रस से सात दिन तक भिगोते रहें।  सातवें दिन इसे छाया में सुखाएँ। इसका खाली पेट सुबह को कुछ दिन तक नियमित सेवन करें।  इस प्रयोग से वृद्ध या नपुंसक  में भी काम-शक्ति ज्वार उठने लगेगा। 

पैरों में बिवाई होने पर -
          प्याज को पीसकर बिवाइयों में भर लें। इससे कुछ ही दिनों में बिवाई फटनी बंद हो जायेगी। 

जलन होने पर -
        शरीर में , हाथ -पैरों में जलन होने पर प्याज के रस में दही मिलाकर खाएं या दही में प्याज काटकर खाएं। 

स्वप्नदोष में -
           स्वप्नदोष की अधिकता में बीस ग्राम प्याज के रस में तीन ग्राम हल्दी चूर्ण तथा पाँच ग्राम शहद मिला लें। सुबह और शाम चाटें।  15 -20 दिन में ही समस्या समाप्त हो जाएगी। तेल ,  खटाई और नशीले पदार्थ न लें। 

शीघ्रपतन -
          शीघ्रपतन की समस्या में एक चम्मच सफेद प्याज का रस और एक चम्मच शहद प्रातः खाली पेट और शाम 5 बजे दोनों समय लें।  एक घंटे तक कुछ नहीं खाएं। 

खांसी में -
     कफयुक्त खांसी में एक प्याज का रस , तीन ग्राम लहसुन का रस , थोड़ा गर्म कर शहद मिलाकर दो तीन बार दिन में चाटें। 


बुधवार, 22 जुलाई 2020

चाय : गुण और अवगुण ; Tea: Properties and Demerits

चाय : गुण और दोष 
                     आज  के समय में चाय भारत का एक प्रमुख पेय बना हुआ है जबकि अंग्रेजों के भारत में आने से पहले चाय को कोई जानता तक नहीं था। आज भारत की चाय विश्व के बाजारों में अपना स्थान बनाये हुए है। आज के समय में चाय हर घर में अपनी पहचान बनाये हुए है , हालात यहाँ तक हैं की  बालक हों या बूढ़े , बिना चाय पिए तो आँख तक नहीं खुलती।  बिस्तर से उठो तो सामने चाय का प्याला होना जरूरी है और कुछ की हालत तो ऐसी की प्याले से काम नहीं चलता बल्कि एक बड़ा गिलास भरकर चाय चाहिए फिर चाहे दोपहर तक भोजन न मिले। 


    चाय की शुरुआती अवस्था में तो चाय बागानों के अंग्रेज मालिकों ने शहरों के प्रत्येक घर के हर सदस्य को एक-एक कप चाय सुबह और शाम दोनों वक्त मुफ्त में बाँटी थी। इसका परिणाम ये हुआ की अब ऐसा कोई व्यक्ति ही बचा हो जो चाय न पीता हो। 
  
आपने चाय के नुकसान के बारे में तो जरूर सुना होगा। आज आप चाय के गुण और अवगुण से संबंधित एक दोहा जरूर पढ़ें -
             " कफ काटन  वायु हरण , धातुहीन  तन क्षीण। 
              लहू को पानी करे , दो गुण अवगुण हैं तीन।।"

कफनाशक - चाय फेफड़ो में बना हुआ बलगम बाहर निकालती है। चाय का काढ़ा कफ बनने की प्रकृति का भी नाश करता है। 


वायुहरण - चाय का काढ़ा आँतो में निर्मित वायु या गैस को बाहर धकेलने का कार्य भी कुशलता से करता है। 

चाय के यही दो गुण  विज्ञान -सम्मत हैं। 

अब आप चाय के अवगुण देख लीजिये 

धातुहीन - चाय असमायिक उत्तेजना उत्पन्न करती है साथ ही वीर्य धातु को पतला कर देती है। 

तनक्षीण - धातु क्षीण होने से शरीर में कमजोरी आती है। 

लहू का पतलापन -पोषक तत्वों का चाय में अभाव होने से रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा घटती है। जिससे रक्त पतला होता जाता है। 

निद्रानाशक -यदि नींद के झोंके के कारण आपके कार्य में बाधा पड़ रही हो तो चाय का एक कप पीने से आपके शरीर में चेतना व उत्तेजना का संचार हो जाता है। 

मच्छर भगाने में -उबालने के बाद बची चाय की पत्तियों के साथ नींबू के पेड़ की पत्तियां समान मात्रा में सुखाकर जलाने से घर में एक भी मच्छर न टिकेगा। 

मक्खियाँ भगाने में -उबालने के बाद बची चाय की पत्तियों को सुखाकर जलाने से इसके धुँए से घर में एक भी मक्खी घर में नहीं टिकेगी। 

जलने पर -पानी, तेल या आग से जलने पर चाय की पत्तियों का काढ़ा बना कर ठंडा कर लें और इसे कपड़े में भिगोकर जले स्थान को ढक लें और दूसरे कपड़े से इस कपड़े को गीला करते रहे। इससे त्वचा की जलन भी शांत होगी घाव और निशान सब खत्म हो जायेंगे। 

सोमवार, 13 जुलाई 2020

अदरक या सोंठ: मसाला भी और औषधि भी ; Ginger or dry ginger: Both spice and medicine

अदरक :- स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपयोगी ;Ginger: - Extremely useful for health
                             अदरक एक बहुत ही उपयोगी कंद है।  भोजन में ,चटनी में , स्वाद बढ़ाने में इसकी बराबरी करने वाला शायद ही कोई अन्य कंद हो। अदरक का प्रयोग स्वाद और उपचार दोनों के लिए किया जाता है। अदरक के ही सूखे हुए रूप को सोंठ कहते हैं केवल अंतर इतना है की सोंठ अदरक का सुखाया हुआ भाग है लेकिन दोनों के गुण समान हैं।  

गुण :- अदरक में लौह तत्व लहसुन से दोगुना तथा प्याज से चौगुना होता है। अदरक में फाइबर भी अधिक होता है। 
अदरक में बहुत सारे विटामिन्स के साथ -साथ मैग्नीशियम , कैल्शियम और पोटेशियम भी पाया जाता है। 



औषधीय उपयोग :-
 
(1) कान दर्द -
                    कैसा भी कान दर्द हो , अदरक का रस गुनगुना करके कान में डालने से दर्द बंद हो जाता है। 

(2) जुकाम या गला बैठने पर -
                       अदरक का रस व शहद समान मात्रा में गुनगुना करके चाटने से आराम मिलता है। 


(3) दस्त व डायरिया -
                           50 ग्राम उबलते हुए पानी में एक चम्मच अदरक का रस डालकर आग से उतार लें।  ठंडा होने पर पी लें।  दिन में तीन चार बार यह प्रयोग करने से दस्त की समस्या दूर हो जाती है। 

(4) अपच के दस्त-
                       अपच के दस्त लगने पर अदरक का रस नाभि में डालने से और ऊँगली से मलने से तुरंत ही आराम मिलता है। 

(5) खाँसी-
               अदरक का एक चम्मच रस व एक चम्मच शहद साथ मिलाकर तीन - तीन घंटे बाद चाटते रहने से खांसी दूर हो जाती है। 

(6)  गैस विकार या अपच -
                      अदरक को नींबू के रस में मिलाकर सेवन करने से पेट संबंधी समस्या दूर होती है। 

(7) उल्टियों में -
                     एक चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच प्याज का रस थोड़े पानी में बार-बार पिलाते रहने से उल्टी दूर होती हैं साथ ही खट्टी डकारों में भी आराम आता है। 

(8) हृदय रोग -
                अदरक का रस प्रतिदिन पीने से हृदय के रोग दूर होते हैं और ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रहता है। 

 अदरक का एक अद्भुत प्रयोग -
             अदरक को अच्छी तरह साफ़ करके छिलका उतार लें और चाक़ू से पतले-पतले टुकड़े काट लें। फि इसे काँच के मर्तबान में दाल दें और इस पर इतना नींबू निचोड़ दें की अदरक डूब जाए। स्वाद के अनुसार इसमें नमक , हल्दी ,जीरा और काली मिर्च दाल दें तथा तेल के स्थान पर शुद्ध घी डालें।भोजन के साथ इसका उपयोग करें  यह अचार एक अद्भुत दवा है जो बहुत से रोगों को दूर भगाती है साथ ही भोजन का स्वाद भी बढ़ाती है। 

अदरक का अन्य रूप : सोंठ -
                   सोंठ, अदरक का ही सूखा हुआ रूप है , इसलिए गीली सोंठ को अदरक और सूखी अदरक को सोंठ कहते हैं दोनों के गुण भी समान हैं। सोंठ का उपयोग हर घर में मसाले के रूप में सदियों से होता हुआ आया है। सोंठ मसाले के साथ -साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर है। सांस , कांस खांसी , सूजन , हृदय रोग,बवासीर , उदर रोग और वात रोग की तो यह महाऔषधि है।  तो आइये इसके औषधीय गुणों को देखते हैं -

(1) हिचकी आने पर -
                             हिचकी आने लगे तो सोंठ और छोटी हरड़ को पानी में घिसकर इसका गाढ़ा लेप जो लगभग एक चम्मच हो एक कप गुनगुने पानी में घोलकर पिलाने से हिचकी बंद हो जाती हैं। 
  या , पुराने गुड़ में थोड़ी सी सोंठ का चूर्ण मिलाकर सूंघने से हिचकी आना बंद होता है। 

(2) कमर दर्द या कूल्हों का दर्द -
                               (क)सोंठ को मोटा कूटकर दो कप पानी में उबाल लें , जब आधा कप पानी बचे तो उतारकर ठंडा करके इसमें दो चम्मच अरंडी का तेल (कैस्टर ऑयल) शाम को भोजन के दो घंटे बाद ले लें। 
  (ख)अजवायन , मेथी , सोंठ -प्रत्येक 50-50 ग्राम का चूर्ण बनाए और मिलाकर रख लें।  इस मिश्रण की 2 -2 ग्राम मात्रा दिन में दो बार गुनगुने पानी से लें। 

(3) आमवात में -
                     सोंठ और गिलोय को बराबर मात्रा में लेकर दो कप पानी में उबाल लें। आधा कप पानी रहने पर ठंडा करके छानकर पी जाएं। यह प्रयोग प्रतिदिन प्रातः भोजन के एक या दो घंटे बाद करें। कुछ दिन में ही आमवात समूल नष्ट हो जाता है। 

(4) पेट में आंव बनने पर -
                                अपच के कारण पेट में आंव बन जाता है। इस आंव को नष्ट करने के लिए पाव भर दूध में आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण डालकर उबाल लें।  ठंडा करके 3 -4 दिन सोते समय पीने से आंव बनना समाप्त हो जाता है। 

(5) मंदाग्नि होने पर -
                           सोंठ का आधा चम्मच चूर्ण थोड़े से गुड़ में मिलाकर भोजन के एक घंटे बाद कुछ दिन सेवन करने से मंद पड़ी हुई अग्नि तीव्र हो जाती है और भोजन का पाचन सही प्रकार से होने लगता है। 

मंगलवार, 7 जुलाई 2020

पेट की गैस :- कारण और निवारण; Stomach Gas: - Causes and Prevention

पेट की गैस :- कारण और निवारण;  Stomach Gas: - Causes and Prevention
                आजकल पेट में गैस बनना एक आम समस्या हो गई है जिसके प्रकोप से सब पीड़ित है अब वो चाहे बालक हों या वृद्ध।  गैस का अधिक बनना और उसका निष्कासन मनुष्य के खान-पान , रहन-सहन तथा मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है। शरीर में हो रही चयोपचय क्रिया में गैस का बनना स्वभाविक है इसके बनने के साथ-साथ ईश्वर ने इसके निष्कासन अंग भी दिए हैं अब वो चाहे डकार के रूप में निकले या अपान वायु के रूप में निकले। परन्तु यदि इसकी मात्रा ज्यादा हो यदि डकारें आती रहती हों पेट में गुड़गुड़ाहट होती रहती हो या अपान वायु बदबू के रूप में निकलती रहती हो तो निश्चित रूप से आप वायु प्रकोप से पीड़ित हो। 

गैस के लक्षण - 
जो भी हम खाते है उस खाये गए पदार्थ केआवश्यक तत्वों को शरीर ग्रहण कर लेता है और शेष अवशिष्ट को मल के रूप में बाहर निकाल देता है और इस क्रिया को सम्पन्न कराने में हमारे शरीर के पाचन अंग काम करते हैं। खाये गए पदार्थ का अवशिष्ट मल के रूप में आंतो में एकत्र  होता है।हमारी लापरवाही और खान-पान के प्रभाव से जब आतें मल निकालने में असमर्थ हो जाती हैं तो गैस उत्पन्न करती हैं और गैस भी जब मल निकालने में असमर्थ हो जाती है तो अमाशय फूलकर फेफड़ों पर दबाब बनाता है जिससे सांस फूलती है और ह्रदय प्रभावित होता है जिससे ब्लड प्रेशर और कोलस्ट्रोल बढ़ जाता है यही गैस शरीर में वो उत्पात मचाती है की ब्लड प्रेशर को इतना बढ़ा देती है की इंसान लकवाग्रस्त तक हो जाता है या नस तक  फट जाती है  और हार्ट अटैक तक आ जाता है।
        सीने में जलन व गैस का दाब, हृदय पर दवाब , पेट में दर्द , पेट में गुड़गुड़ाहट , कब्ज़ , हिचकियाँ  और मल में दुर्गंध आना गैस का ही कारण है। 

गैस अधिक बनने के कारण -
 (1) कुछ लोग बहुत तेजी से खाना खाते हैं जिससे खाना भी अधिक खाया जाता है साथ ही गैस भी अधिक बनती है। 
 (2) स्वास्थ्य की दृष्टि से भोजन केवल दो बार ही करना चाहिए जबकि कुछ लोग दिन भर कुछ न कुछ खाते रहते हैं साथ ही भोजन भी करते रहते हैं। 

(3) ईश्वर ने खाने के लिए  मुँह में 32 दांत दिए हैं अतः भोजन के एक निबाले को कम से कम 32 बार चबाना चाहिए जबकि कुछ लोग खाने को चबाते कम और निगलते ज्यादा हैं जो गैस बनने का मुख्य कारण है। 

(4) आजकल डायटिंग एक मुख्य समस्या बनी हुई है ,जो लोग थोड़े से मोटे हो जाते हैं वो डायटिंग शुरू कर देते है यह भी गैस बनने का एक कारण है। 

(5) भोजन के साथ पानी पीना या भोजन के तत्काल बाद ही पानी पीना पेट की समस्याओं और गैस की समस्याओं को जन्म देता है। 

(6) ध्रूमपान करने , पान तम्बाकू करने या फिर किसी भी तरह के नशीले पदार्थ का सेवन करने से पेट में कब्ज़ तथा गैस की समस्या उत्पन्न होती है।  

गैस बनाने वाले पदार्थ -
  (1) फास्टफूड , अधिक चिकनाई युक्त पदार्थ, तेज किस्म के मसाले , डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ , कैफीन युक्त पेय पदार्थ,  बिना फाइबर युक्त भोजन , बासी भोजन , अधिक अम्लीय पदार्थ  आदि। 

(2) सब्जियां - इनमे प्रमुख हैं फली वाली सब्जियां  जैसे -चना , राजमा ,लोबिया , सूखी मटर , अरहर की दाल, मूंग आदि। मूली और गोभी भी अधिक गैस बनाती हैं। 
(3) अवसाद (डिप्रेशन), तनाव और पर्याप्त नींद न लेना भी गैस बनने के कारण हैं। 

गैस का निवारण -
  (1) भोजन को दांतो से ही पीसें उसको पीसने में आंतो को अधिक श्रम ना करना पड़े और जो काम दांत का है  वो दांत ही करें वरना पेट संबंधी समस्या उत्पन्न हो जाएगी भोजन को जितना अधिक चबाएंगे  मुँह की लार उतना ही  अधिक पेट में जाएगी  जिससे लार में उत्पन्न तत्व (टायलिन ) शरीर में पहुंचेगा और पाचन ठीक प्रकार से होगा तो गैस भी नहीं बनेगी ।

(2)खाना जिस  समय का भी  लें पर पानी हमेशा खाने के एक घंटे बाद ही पियें , बीच में एक या दो  घूंट पिया जा सकता है।अगर आप भोजन के तुरंत बाद पानी पीते हैं तो भोजन पचेगा जी बल्कि सड़ेगा और यही गैस को पैदा करेगा। 

(3) सुबह और शाम दोनों समय मल का त्याग अवश्य करें कुछ लोग प्रातः ही मल त्याग करते हैं जो की गलत है क्योंकि जब हम खाते दोनों समय हैं तो मल त्याग भी दोनों ही समय करना चाहिए। 

(4) खाने के बाद 20 मिनट वज्रासन में अवश्य बैठें। 

(5) प्रातः काल उठते ही दो गिलास पानी अवश्य पियें और वो भी बिना कुल्ला किये , हमारे मुँह में बनी रात की लार हमारे पेट में सुबह को पानी के साथ जाए।  आप देखिये एक सप्ताह में ही आपमें कितना परिवर्तन आता है और स्वम को कितना अच्छा महसूस करते हो । 

(6) भुनी हुई हींग पीसकर सब्जी में डालकर खाने से गैस की समस्या समाप्त होती है। 

(7) एक छोटा चम्मच हिंग्वाष्टक चूर्ण प्रातः और रात भोजन के बाद लेने से पेट की गैस की समस्या दूर होती है। 

(8) पेट पर नाभि के चारो तरफ दायीं से बायीं और को सरसों के तेल की मालिश करने से गैस नहीं बनती। 

(9) छोटी हरड़ का चूर्ण और लवण भास्कर चूर्ण सामान मात्रा में लेकर शीशी में भरकर रख लें।  इसे आधा चम्मच पानी के साथ दिन में एक बार लें। पेट की बहुत सी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। 

(10)पुष्कर मूल , सोंठ ,कालानमक ,हींग, अजवायन सभी को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें नाश्ता तथा खाने के बाद एक एक चम्मच चूर्ण गर्म पानी से लें। 





रविवार, 5 जुलाई 2020

वर्षा ऋतु :- ध्यान रखने योग्य बातें; Rainy season: - Things to keep in mind

वर्षा ऋतु :- क्या करें , क्या ना करें 
            गर्मी के मौसम के बाद वर्षा का मौसम आता है।  

 वर्षा ऋतु में ठंडे-गर्म के कारण शरीर में पित्त का संचय होता रहता है अतः इस ऋतु को अत्यंत सावधानी से काटना ही हितकर है। 
    


 बरसात का मौसम  गर्मी से व्याकुल ,कमजोर तथा सूखे हुए जगत को फिर से पोषण और बल प्रदान कर देता है लेकिन इसके साथ ही इस ऋतु में बहुत सी व्याधियां भी उत्पन्न हो जाती  हैं जिनका हमें ध्यान रखना आवश्यक है  जैसे-  

  वर्षा ऋतु में ना करने योग्य बातें
  • वर्षा ऋतु में , ऋतु प्रभाव से वात का प्रकोप(जैसे- दमा ,गठिया ,शरीर के किसी भाग में दर्द ) रहता है अतः इस ऋतु में वात को बढ़ाने वाला आहार नहीं खाना चाहिए। 
  • वर्षा ऋतु में विशेषकर सावन-भादों में हरी तथा पत्तेदार सब्जियां नहीं खानी चाहिए क्योंकि बरसात पड़ने से कीटाणुओं , रोगाणुओं की भरमार के साथ ही इनकी तासीर भी बदल जाती है। 
  • जब आकाश में बादल छाये हुए हों तो जुलाब संबंधी कोई भी पदार्थ न लें। 
  • वर्षा ऋतु में कभी गर्मी तथा कभी नमी जैसा मौसम रहता है अतः इस ऋतु में पाचन क्रिया अत्यंत मंद पड़  जाती है और पाचन संबंधी समस्याएं भी पैदा हो जाती हैं इसलिए इस ऋतु में हल्का भोजन लें। 
  • वर्षा ऋतु में शाम का भोजन सूर्यास्त से पहले ही कर लें क्योंकि एक तो इस ऋतु में जठराग्नि मंद रहती है और दूसरा वायु में कीटाणुओं की उपस्थिति भी रहती है ।
  • वर्षा काल के प्रारम्भ में गाय भैंस नई-नई पैदा हुई घास खाती हैं अतः सावन मास में  दूध नहीं पीना चाहिए। 
  • वर्षा ऋतु के अंतिम समय में पित्त कुपित होने लगता है और गर्मी बढ़ने लगती है अतः भादो मास में छाछ नहीं पीना चाहिए। 
  • वर्षा काल में हर किसी स्थान का पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि वर्षा काल में दूषित जल पीने से बहुत से रोग उत्पन्न हो जाते हैं। 
करने योग्य बातें-
  • वर्षा ऋतु में पानी को उबालकर सेवन करना चाहिए और बार-बार पानी का सेवन करते रहना चाहिए। 
  • वर्षा काल में जामुन का फल पाया जाता है अतः जामुन का प्रयोग दोपहर भोजन के बाद अवश्य करें क्योंकि जामुन में लौहतत्व होता है जिसके प्रयोग से शरीर में लौहतत्व की पूर्ति होती है जिससे रक्त बनता है और हीमोग्लोबिन बढ़ता है। 
                                           
  • वर्षा काल का दूसरा मौसमी फल आम है और आम में बहुत से औषधीय गुण पाए जाते हैं अतः आम का प्रयोग अवश्य करें।  आम को चूसकर खाना ही उचित रहता है जिससे मुँह की पर्याप्त लार उसमे मिलती है जिससे पाचन क्रिया भी जल्दी ही सम्पन्न हो जाती है।  
  • वर्षा काल का एक अन्य खाद्य-पदार्थ मक्का का भुट्टा है जिससे ग्लूकोस तथा कार्बोहाइड्रेट की पूर्ति हो जाती है। 

  • वर्षा काल में मुख्य रूप से प्रतिदिन मूंग की छिलके वाली दाल का प्रयोग अवश्य करें इसके सेवन से इस ऋतु में पेट ठीक रहता है और पेट संबंधी समस्याएं कम होती हैं। 
  • वर्षा ऋतु में तेल मालिश करने से बहुत सी समस्याओं से बचा जा सकता है। अतः हल्का व्यायाम और तेल मालिश अवश्य करें। 
  •  वर्षा काल में हल्के पदार्थ ,मूंग,खिचड़ी ,सरसों ,भिंडी, तोरई ,लौकी , मेथी आदि का सेवन अच्छा है। 
" वर्षा तथा शरद ऋतु के प्रभावों का अध्ययन करते हुए हमारे देश के दो प्रकांड ज्योतिषाचार्यों घाघ और भडडरी ने काल , विवेक , स्वास्थ्य आदि का अध्य्यन करते हुए इन ऋतुओं के बारे में कहा है -

               "सावन व्यारी जब-तब कीजै , भादों वाको नाम न लीजै। 
                कुवार माह के दो पखवारे ,यतन -जतन से काटो प्यारे। 
                कार्तिक मास का दिया जलाए ,चाहे जितनी बार खाए। "

अर्थात सावन महीने में यदि आवश्यक हो तो कभी -कभार ही रात का भोजन कर लीजिए। परन्तु भादों महीने में भूलकर भी रात्रि भोजन न करें चाहे रात्रि का उपवास ही क्यों न हो जाए। कवार महीने के दोनों पक्ष बहुत ही सावधानी से काट लीजिये इनमें रात्रि भोजन की आवश्यकता न रहे। कार्तिक  महीने के पहले 15 दिन भी सावधानी से काट लें।  अमावस्या को दीपावली का दिया जलाने के बाद अपनी भूख और पेट की क्षमता के अनुसार कितनी भी बार भोजन कर लेना हानि की न्यूनतम आशंका रहेगी। "

गुरुवार, 2 जुलाई 2020

Jaggery: an introduction ; गुड़ : एक परिचय



गुड़ : एक परिचय ; Jaggery: an introduction
                          
सदियों से गुड़ भारतीय संस्कृति और आयुर्वेद की विरासत बना हुआ है।  शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहां किसी न किसी रूप में गुड़ का प्रयोग न किया गया हो। भारतीय समाज में गुड़ को जो स्थान मिला हुआ था आज वो इस आधुनिकता और दिखावे ने छीन लिया और उसकी जगह शक़्कर या चीनी ने ले लिया। शक़्कर और गुड़ दोनों ही ऐसे पदार्थ हैं जिनका जन्म गन्ने के रस से हुआ है। दोनों का प्रयोग मिठास लाने के लिए किया जाता है परन्तु यदि दोनों के गुण की बात कहें तो शक़्कर या चीनी में अधिकतर कैमिकल का प्रयोग होता है जबकि गुड़ रासायनिक पदार्थो रहित होता है। गुड़ गन्ने के अलावा ताड़ और खजूर से भी बनाया जाता है 

            आहार चिकित्सकों और प्राकृतिक चिकित्सकों ने तो शक़्कर या चीनी को सफेद जहर घोषित कर दिया है अतः मिठास के रुप में गुड़ या शहद ही सर्वश्रेष्ठ हैं।  ग्रामीण समाज में तो आज भी गुड़ का ही प्रयोग किया जाता है दलिया , दही, लस्सी , शरबत , लड्डू और दूध में भी गुड़ का प्रयोग किया जाता है। 

गुड़ में शक़्कर की तुलना में सात गुना खनिज , दो गुना शर्करा और तीस गुना जल पाया जाता है। इसके खनिज लवणों में फास्फोरस , कैल्शियम तथा आयरन हैं।  कैल्शियम तथा फास्फोरस हड्डियों का निर्माण करते हैं जबकि आयरन एनीमिया रोग दूर करता है। 

आयुर्वेद में गुड़ का वर्णन :-
आयुर्वेद ने गुड़ को त्रिदोषनाशक बताया है। आयुर्वेद के अनुसार शुद्ध गुड़ वात और पित्त नाशक होता है जबकि अशुद्ध गुड़ मधुर, स्निग्ध ,मूत्र और रक्तशोधक है पित्त को पूरी तरह नष्ट नहीं करता जबकि वातनाशक है मेद और कफ बढ़ाने वाला है। 

गुड़ का महत्व -
  • गुड़ रक्त को बढ़ाकर रक्त की अम्लीयता दूर करता है जिससे त्वचा रोग और पेशाब संबंधी समस्या दूर होती है। 
  • गुड़ के प्रयोग से दांतों का इनेमल सुरक्षित रहता है। 
  • गुड़ विटामिन ए  और विटामिन बी की पूर्ति भी करता है। 
  • गुड़ महिलाओं में होने वाली खून की कमी की समस्या को दूर करता है। 
  • काले तिल और गुड़ के बने लड्डू कफ संबंधी रोगों को दूर करते हैं और इसके अलावा बिस्तर गीला करने वाले बच्चों के लिए भी अत्यंत उपयोगी हैं। 
  • गुड़ का उपयोग दमे और क्षय रोगियों के लिए लाभदायक है। 
  • भोजन के बाद थोड़ा सा गुड़ खाने से पाचन संबंधी समस्या दूर होती है गैस भी नहीं बनती। 
  • खांसी-जुकाम में गुड़ के साथ सोंफ और काली मिर्च का सेवन करने से लाभ मिलता है। 
  • बहुत जल्दी थकने वालो के लिए तो गुड़ एक टॉनिक की तरह कार्य करता है यह शरीर को ऊर्जा और शक्ति देता है। 
  • गुड़ और अदरक को मिलाकर एक साथ खाने पर यह जोड़ो के दर्द को दूर करता है। 
  • महिलाओं को प्रसब  के बाद गुड़ का प्रयोग कराया जाता है जिससे की उनकी बहुत सी समस्याएं दूर होती है। 

गुड़ के नुक्सान :-
                  अधिक मात्रा में गुड़ का सेवन करने से अपच, ब्लड शुगर का बढ़ना , वजन बढ़ना , इन्फेक्शन आदि समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। 

रविवार, 28 जून 2020

Turmeric: a powerful medicine; हल्दी: एक गुणकारी औषधि

हल्दी: एक गुणकारी औषधि ; Turmeric: a powerful medicine
    हल्दी को हिंदी में हल्दी या हरिद्रा कहा जाता है और अंग्रेजी में टर्मरिक कहा जाता है। हल्दी का प्रयोग प्रत्येक घर में मसाले के रूप में होता है।  हल्दी चार प्रकार की होती है (1) वन हल्दी (2) आंबा हल्दी (3) दारु हल्दी (4) हल्दी 
 
दाल शाक के रूप में केवल हल्दी का ही प्रयोग होता है तो आज हम केवल इसी हल्दी के बारे में वर्णन करेंगे 
हल्दी का पौधा 2-3  फ़ीट बड़ा होता है और इसके नीचे अदरख के समान कंद होते हैं यह भूमिगत कंद होता है और इसके अंदर का भाग पीला या नारंगी पीला होता है इसी को सुखाकर हल्दी के रूप में प्रयोग करते है। 

आयुर्वेद के अनुसार हल्दी चरपरी , कड़वी , रूखी , गर्म होती है और कफ , पित्त,त्वचा रोग , प्रमेह , रक्त विकार ,सूजन , घाव, यकृत विकार आदि रोगों को दूर करती है -

हल्दी के कुछ प्रयोग - 
 (1) हल्दी को भूनकर इसका लगभग एक ग्राम चूर्ण मधु या घी से चाटने पर खांसी में लाभ होता है। 

(2) हल्दी को आग पर रखकर इसके धुएँ को लेने से सर्दी-जुकाम, नाक बंद होना , तथा गले की ख़राशो में आराम मिलता है पर याद रखे इसके सूंघने के एक घंटे तक पानी न पियें। 

(3)चोट,मोच  या सूजन पर हल्दी तथा चूना मिलाकर लेप करने से आराम मिलता है साथ ही हल्दी मिला दूध भी पिएं तो शीघ्र ही लाभ होता है। 

(4) कफ और गले के रोगों में तथा सर्दी होने पर एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच पिसी हल्दी घोलकर पीने से 
2-3  दिन में ही आराम होने लगता है। 

(5)अगर मुंह में छाले  हो गए हों तो रात में गुनगुने दूध में एक चम्मच हल्दी और एक चम्मच देशी घी मिलाकर पीने से छाले 2 या 3 दिन में ठीक हो जाते हैं। 

(6) नींबू के रस में हल्दी और कपूर को अच्छी तरह मिलाकर इस मिश्रण को लगाने से चर्म रोगों तथा संक्रमण के कीटाणुओं का नाश होता है। 

(7)हल्दी , नमक तथा सरसों का तेल मिलाकर दांत व मसूढ़ों पर मलने से दांत साफ़ व मसूढ़े मजबूत होते है और दांत संबंधी कोई बीमारी नहीं होती। 

(8) हल्दी के पानी में यदि नींबू और शहद मिलाकर रोज पिया जाये तो यह सौंदर्य में वृद्धि के साथ-साथ बहुत से चर्मरोगों में फायदा पहुँचाती है। 

(9)इन रोगों के अलावा हल्दी और बहुत सारे रोग जैसे एंटीबायोटिक होने के कारण शरीर के विषाक्त कणों को दूर करती है , लिवर की समस्याओ को दूर करती है , पाचन क्रिया सही करती है ,जोड़ों का दर्द दूर करती है ,बालों की समस्या और महिलाओं की मासिक धर्म संबंधी समस्याओं को दूर करती है। 


Turmeric: a powerful medicine
    Turmeric is called Haldi or Haridra in Hindi and Turmeric in English. Turmeric is used as a spice in every household. There are four types of turmeric (1) Forest turmeric (2) Amba turmeric (3) Daru turmeric (4) Turmeric
 
Only turmeric is used as dal shak, so today we will describe only this turmeric.
Turmeric plant is 2-3 feet big and has ginger-like tubers below it, it is underground tuber and its inner part is yellow or orange yellow and dried and used as turmeric.

According to Ayurveda turmeric is bitter, bitter, dry, hot and cures diseases like phlegm, bile skin disease, spasm, blood disorders, inflammation, wounds, liver disorders, etc.

Some Uses of Turmeric -
 (1) Toasted turmeric and lick about one gram powder of honey or ghee, it provides relief in cough.

(2) Taking smoke of turmeric on fire provides relief in colds, colds, nose and throat sore, but remember do not drink water for one hour after smelling it.

(3) Mixing turmeric and lime on injury, sprain or swelling provides relief, as well as drinking turmeric mixed milk is beneficial soon.

(4) In diseases of phlegm and throat and in winter, drink a spoonful of turmeric powder in a glass of warm milk and drink it.Starts resting within 2-3 days.

(5) If there are blisters in the mouth, then one teaspoon turmeric and one teaspoon of desi ghee mixed with lukewarm milk at night can cure blisters in 2 or 3 days.

(6) Mixing turmeric and camphor in lemon juice and applying this mixture, kills germs of skin diseases and infections.

(7) Rubbing turmeric, salt and mustard oil on teeth and gums makes teeth clean and strong gums and there is no tooth disease.

(8) If mixed with turmeric and honey mixed with turmeric water, it is beneficial in many skin diseases along with increasing beauty.

(9) Apart from these diseases, due to antibiotics like turmeric and many diseases, it removes toxic particles of the body, removes liver problems, corrects digestion, relieves joint pain, hair problems And removes menstrual problems of women.

शुक्रवार, 26 जून 2020

sugarcane juice : गन्ने का रस

 गन्ने का रस :-
                 गन्ना प्रकृति द्वारा दिया गया वो उपहार है जो हमे मिठास ही नहीं बल्कि भरपूर ऊर्जा देता है। हिंदी में ईख या गन्ना  और अंग्रेजी में सुगरकेन कहलाता है। गन्ने के रस में 15 % शर्करा तथा विटामिन 'ए ' , 'बी ' और सी भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही इसमें अनेक प्रकार के खनिज लवण जैसे - आयरन , मैग्नीशियम , फॉस्फोरस  व कैल्शियम तथा उसके कार्बनिक लवण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।यही कारण है की इसके सेवन से शरीर की कमजोरियां तो दूर होती हैं साथ ही हमें फौरन भरपूर ऊर्जा भी प्राप्त होती है। 


आयुर्वेद में गन्ने का महत्व -
आयर्वेद के ग्रंथ भावप्रकाश में गन्ने को अनेक रोगों में रामबाण बताया गया है। जैसे -एनीमिया ,अम्लपित्त , अतिसार में लाभदायक , पाचनक्रिया को ठीक करने वाला , भूख बढ़ाने वाला , थकान दूर करने वाला उत्तम टॉनिक है।  आयुर्वेद के ग्रंथ सुश्रुत संहिता में  गन्ने के रस को शीतल ,बलवर्धक , वीर्यवर्धक , थकान दूर करने वाला तथा गले के लिए हितकारी बताया गया है। 
अष्टांग हृदयम में गन्ने के रस को भारी, ठंडा ,चिकना ,मधुर , कफ और मूत्र को बढ़ाने वाला कहा गया है। 

गन्ने के औषधीय प्रयोग -
  • गन्ने का ताजा रस इम्युनिटी सिस्टम ठीक रखता है , जिससे संक्रामक रोग ठीक रहते हैं। 

  • पीलिया में गन्ने का रस दवा का काम करता है क्योंकि यह लीवर की कार्य क्षमता को बढ़ाता है। दिन में जौ का सत्तू खाकर ऊपर से गन्ने का रस पिया जाये तो एक सप्ताह में ही पीलिया ठीक हो जाता है। 

  • गन्ने का रस मूत्रकारक है अतः मूत्र संबंधी संक्रमण में भी गन्ने का रस पीने से मूत्र अवरोध तुरंत दूर हो जाता है। 

  • पथरी में भी गन्ना बेहद लाभदायक होता है , गन्ना चूसते रहने से अथवा इसका रस पीने से पथरी टुकड़े-टुकड़े होकर मूत्र मार्ग से निकल जाती है। 

  • हिचकी आने पर यदि गन्ने का रस पी लिया जाये तो तुरंत हिचकी दूर हो जाती है। 

  • गुर्दे की खराबी या मूत्रावरोध होने पर डॉक्टर गन्ने का रस पीने की सलाह देते हैं क्योंकि गन्ने का रस पीने से मूत्रावरोध जैसी समस्याएं दूर होती है। 

  • गन्ने में पर्याप्त मात्रा में फॉस्फोरस होता है जो मस्तिष्क के लिए बलकारक होता है। इसके लगातार सेवन से मस्तिष्क की कार्य क्षमता और स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है। 

  • गन्ने  के रस में उपस्थित खनिज लवण जैसे लोह तत्व , कैल्शियम आदि तत्व रक्ताल्पता (एनीमिया), दांतो का क्षय, दुर्बलता व पाचन प्रणाली के दोष दूर करते हैं। 

  • आयुर्वेद में कहा गया है की गन्ने को रस की जगह चूसने में प्रयोग में लाना चाहिए जिससे मसूड़ों और दांतो का अच्छा व्यायाम हो जाने से मसूढ़े स्वस्थ बने रहते हैं।  साथ ही पर्याप्त मात्रा में लार मिलने से पाचन क्रिया सही रहती है।

  • गन्ने के बारे में बताया गया है की गन्ने को प्रातःकाल चूसकर खाना चाहिए और रस के रूप में दोपहर को प्रयोग में लाना चाहिए जिससे बहुत सी समस्याओं से छुटकारा मिलता है 
गन्ने का निषेध -
 डायबिटीज़ तथा दमा के रोगी को गन्ना  नहीं खाना चाहिए। 


sugarcane juice :-
                 Sugarcane is a gift given by nature that gives us not only sweetness but also a lot of energy. It is called reed or sugarcane in Hindi and sugarcane in English. In sugarcane juice, 15% sugar and vitamins 'A', 'B' and C are also found in sufficient quantity. Along with this, many types of mineral salts like - iron, magnesium, phosphorus and calcium and its organic salts are found in abundance. This is the reason that the body's weaknesses are overcome by its consumption and we also get plenty of energy immediately. it occurs.

Importance of sugarcane in Ayurveda -
In the Ayurveda text Bhavaprakash, sugarcane has been described as a panacea in many diseases. Such as - anemia, acidity, beneficial in diarrhea, digestive process, appetite enhancer, fatigue relieving tonic.
In Ayurveda treatise Sushruta Samhita, sugarcane juice has been described as cold, enhancer, semen enhancer, fatigue reliever and beneficial for the throat.
In Ashtanga Hridayam, sugarcane juice is said to be heavy, cold, smooth, sweet, increasing phlegm and urine.

Medicinal uses of sugarcane -
  • The sugarcane juice keeps the immunity system fine, thereby infectious diseases are cured.
           
  • Sugarcane juice works as a medicine in jaundice as it increases the efficiency of liver. Junk jaundice is cured within a week after eating barley sattu and drinking sugarcane juice from above.

  • Sugarcane juice is a diuretic, so urinary blockage is removed immediately by drinking sugarcane juice even in urinary infections.

  • Sugarcane is very beneficial in stone too, by sucking sugarcane or drinking its juice, stone gets cut into pieces and comes out of the urinary tract.

  • If sugarcane juice is taken on hiccups, then hiccups disappear immediately.

  • Doctors recommend drinking sugarcane juice in case of kidney problem or urinary blockage, because drinking sugarcane juice can remove problems like urinary blockage.

  • Sugarcane contains sufficient amount of phosphorus and it is powerful for the brain. Continuous intake increases brain function and memory.

  • Mineral salts present in sugarcane juice, such as iron, calcium etc., remove anemia, decay of teeth, weakness and defects of the digestive system.

  • Ayurveda states that sugarcane should be used for sucking in place of juices, so that gums and teeth become healthy due to good exercise of gums and teeth. Also, digestion is right by getting sufficient saliva.

  • Sugarcane has been told that sugarcane should be eaten early in the morning and used in the afternoon in the form of juice, which relieves many problems.
Sugarcane prohibition -
 Sugarcane should not be taken by the patient of diabetes and asthma.

मंगलवार, 23 जून 2020

Honey or Madhu : Extremely beneficial ; शहद अथवा मधु : अत्यंत लाभदायक

शहद अथवा मधु  :  अत्यंत लाभदायक 
मधु शर्करा युक्त खाद्य पदार्थ है जो जिसे मधुमक्खियाँ फूलों से प्राप्तकर अपने छत्तों में एकत्र करती हैं मधु में द्राक्षा शर्करा या ग्लूकोस लगभग 75 % होती है इसके अलावा इसमें लेवुलोस ,गोंद , मोम ,फॉर्मिक एसिड , लौह , चूना , फास्फोरस ,आदि भी होते हैं। मधु में जो शर्करा मिली होती है वह  अत्यंत बलकारक, पचने में आसान , पोषक और उत्तेजक होती है। इसलिए बुखार , प्यास , अम्ल बनने की अवस्था, मधुमेह, हृदय संबंधी समस्याओं में तो मधु बहुत ही लाभदायक है। 


मधु की प्रकृति -
                     मधु रुक्ष , शीतल , हल्का ,मधुर , कषाय ,मधु हल्का वायुकारक , पित्तकारक ,कफनाशक होता है। 

मधु के प्रकार - 
मधुमक्खियों की जाति भेद के अनुसार मधु 8 प्रकार का होता है।  पौत्तिक , भ्रामर ,क्षौद्र , माक्षिक , छात्र , आर्ध्य ,औद्दालक ,और  दाल ये मधु की आठ जातियां हैं। इनमे सबसे अच्छा मधु माक्षिक मधु है। यह हल्का और हृदय तथा श्वास रोग वालों के लिए अच्छा है। 



मधु की विशेषताएं -
नया मधु शरीर को पुष्ट करता है जबकि पुराना मधु मोटापा का नाश करता है। जो शहद छत्ते में अधिक समय तक रहा होता है वह त्रिदोषनाशक होता है जबकि जो मधु कम समय तक ही छत्ते में रहता है वह अम्लकारक और त्रिदोषकारक होता है। मधु में उपस्थित अम्ल  सांस, कास आदि श्वसन संबंधी समस्याओ का नाश करते हैं आयुर्वेद की शायद ही ऐसी कोई औषधि हो जो बिना मधु के दी जाती हो। आयुर्वेद में मधु का बहुत उच्च स्थान है। यह हल्का होने से कफ को शांत करता है , मधुर और कषाय होने के कारण वात और पित्त को शांत करता है अतः मधु हल्का वायुकारक , पित्तकारक ,कफनाशक, हृदय को बल देने वाला , नेत्रों के लिए अच्छा ,अतिसार को नष्ट करने वाला और जमे हुए कफ को काटने वाला है। मधु को कपड़े पर बनी पट्टी घाव के स्थान पर बाँधने से वह घाव को ठीक कर देता है। 


मधु का निषेध
मधु को गर्म नहीं करना चाहिए , गर्मी में बैठे व्यक्ति को मधु नहीं देना चाहिए ,गर्म दवाइयों के साथ मधु नहीं देना चाहिए , मधु गर्मी काल में और गर्म जल के साथ पीने से शरीर को नुकसान पहुँचाता है। मधु और घी को सम मात्रा में कभी प्रयोग नहीं करना चाहिए। 

मधु की पहचान -
  • असली मधु रुई की बत्ती पर लगाने से जलने लगेगा जबकि नकली मधु नहीं जलेगा या जलेगा तो चटचट की आवाज के साथ जलेगा। 
  • असली मधु को सूक्ष्मदर्शी से देखने पर उसमे फूलो के पराग दिखाई देंगे। 
  • असली मधु ठंड के मौसम में जम जाता है और गर्मी में पिघल जाता है। 
  • यदि घरेलू मक्खी को शहद में डुबो दिया जाये और वो निकलकर उड़ जाये तो शहद असली होता है नकली शहद में मक्खी चिपक जाती है। 
  • शहद की कुछ बूंदे कांच की प्लेट पर गिराने पर यदि वो पानी में सांप जैसी कुंडली बना लें तो शहद असली और घुल जाये तो नकली है 
 मधु के औषधीय गुण -
  • जिन बच्चों को कफ संबंधी समस्या हो जैसे खांसी , जुकाम आदि उनको प्रातः एक चम्मच शहद अवश्य दें। 
  •  2 चम्मच शहद आधा टुकड़ा नींबू के रस को एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर लेने से शरीर का मोटापा कम होता है। 

  • प्रातः खाली पेट लगभग 30 ग्राम शहद तथा 30 ग्राम प्याज का रस मिलाकर पीने से सांस रोगों तथा दमा में एक महीने में ही बहुत लाभ हो जाता है। 
  • अदरक का रस गुनगुना करके तथा शहद बराबर मात्रा में मिलाकर लेने से जुकाम तथा बैठे हुए गले में लाभ करता है। 
  • एक चम्मच शहद और एक चम्मच अनार का रस मिलाकर पीने से पाचनशक्ति तीव्र होती है। 
  • एक कप गुनगुने पानी में नीम्बू का रस , शहद तथा काला नमक मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से कैसी भी हिचकी हो बंद हो जाएगी। 
  • जिन पुरुषों में वीर्य संबंधी कोई भी समस्या हो वह प्रातः एक चम्मच सफेद प्याज के रस को एक चम्मच शहद के साथ लें। जल्दी ही समस्या से निजात मिलेगी। 
  • शरीर में रक्त कोशिकाओं की शक्ति व सक्रियता बढ़ाने के लिए चुकंदर और उसकी पत्तियों के 200 ग्राम रस में 20 ग्राम शहद मिलाकर 2 सप्ताह लेने से ही रक्त कोशिकाओं की  मात्रा और शक्ति बढ़ती है। 

Honey or Madhu :Extremely beneficial 
Honey is a sugar-rich food that bees collect from the flowers in their hives, honey contains about 75% of the glucose or glucose, in addition to levulos, gum, wax, formic acid, iron, lime, phosphorus, etc. Huh. The sugars found in honey are extremely powerful, easy to digest, nutritious and stimulating. That is why honey is very beneficial in fever, thirst, acid state, diabetes, heart problems.


Nature of Madhu -
                     Madhu is soft, mild, mild, sweet, mild, honey is mild aphrodisiac, Pittakarak, and Kafnashak.

Types of honey
According to the caste distinction of bees, honey is of 8 types. These are the eight castes of Madhu, the nourishing, the Bhramar, the Kshodra, the Makshik, the student, the Ardhya, the Ouddalak, and the Dal. The best honey among these is Makshik Madhu. It is mild and good for heart and respiratory diseases.


Features of Madhu -
The new honey affirms the body while the old honey destroys obesity. The honey which has been in honeycomb for a long time is tridosha perishable whereas the honey which remains in honeycomb for a short time is acidic and three factor. The acids present in honey destroy respiratory problems, respiratory problems etc. There is hardly any medicine in Ayurveda that is given without honey. Madhu occupies a very high place in Ayurveda. It calms the phlegm by being light, calms the bile and bile due to being sweet and sore so honey is a mild aerator, gall bladder, antipyretic, heart enhancer, good for the eyes, diarrhea-destroying and frozen. Is going to cut the cuffs. He fixes the wound by tying the bandage on the cloth in place of the wound.

Prohibition of honey
Madhu should not be heated, one should not give honey to the person sitting in the heat, honey should not be given with hot medicines, honey is harmful to the body by drinking hot water and with hot water. Madhu and ghee should never be used in the same quantity.

Identification of Madhu
  • Applying a real honey on a light will start burning, while the fake honey will not burn or burn if it burns.
  • Pollen of flowers will be seen on seeing the real honey under microscope.
  • Real honey freezes in cold weather and melts in summer.
  • If the domestic fly is dipped in honey and it flies out, then the honey is real. The fly sticks to the fake honey.
  • If you drop a few drops of honey on a glass plate and make a snake-like coil in water, the honey is real and dissolves, it is fake.

Medicinal properties of honey -
  • Children who have phlegm related problems like cough, cold etc. should give one spoon of honey in the morning.

  • Taking two spoons of honey and half a piece of lemon juice mixed with a glass of lukewarm water reduces body fatness.
  • In the morning on an empty stomach, drinking about 30 grams of honey and 30 grams of onion juice, drinking it is very beneficial in respiratory diseases and asthma in a month.
  • Taking ginger juice lukewarm and mixing in equal quantity of honey provides relief in cold and sitting throat.
  • One teaspoon of honey and one teaspoon of pomegranate juice mixed together, it improves digestion power.
  • Mixing lemon juice, honey and black salt in a cup of lukewarm water, drinking two or three times a day will stop any hiccups.
  • Men who have any semen problem, take one spoon of white onion juice in the morning with one spoon of honey. We will get rid of the problem soon.
  • To increase the strength and activity of blood cells in the body, adding 20 grams of honey to 200 grams of beet and 200 grams juice of its leaves increases the quantity and strength of blood cells by taking 2 weeks.

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