मंगलवार, 7 जुलाई 2020

पेट की गैस :- कारण और निवारण; Stomach Gas: - Causes and Prevention

पेट की गैस :- कारण और निवारण;  Stomach Gas: - Causes and Prevention
                आजकल पेट में गैस बनना एक आम समस्या हो गई है जिसके प्रकोप से सब पीड़ित है अब वो चाहे बालक हों या वृद्ध।  गैस का अधिक बनना और उसका निष्कासन मनुष्य के खान-पान , रहन-सहन तथा मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है। शरीर में हो रही चयोपचय क्रिया में गैस का बनना स्वभाविक है इसके बनने के साथ-साथ ईश्वर ने इसके निष्कासन अंग भी दिए हैं अब वो चाहे डकार के रूप में निकले या अपान वायु के रूप में निकले। परन्तु यदि इसकी मात्रा ज्यादा हो यदि डकारें आती रहती हों पेट में गुड़गुड़ाहट होती रहती हो या अपान वायु बदबू के रूप में निकलती रहती हो तो निश्चित रूप से आप वायु प्रकोप से पीड़ित हो। 

गैस के लक्षण - 
जो भी हम खाते है उस खाये गए पदार्थ केआवश्यक तत्वों को शरीर ग्रहण कर लेता है और शेष अवशिष्ट को मल के रूप में बाहर निकाल देता है और इस क्रिया को सम्पन्न कराने में हमारे शरीर के पाचन अंग काम करते हैं। खाये गए पदार्थ का अवशिष्ट मल के रूप में आंतो में एकत्र  होता है।हमारी लापरवाही और खान-पान के प्रभाव से जब आतें मल निकालने में असमर्थ हो जाती हैं तो गैस उत्पन्न करती हैं और गैस भी जब मल निकालने में असमर्थ हो जाती है तो अमाशय फूलकर फेफड़ों पर दबाब बनाता है जिससे सांस फूलती है और ह्रदय प्रभावित होता है जिससे ब्लड प्रेशर और कोलस्ट्रोल बढ़ जाता है यही गैस शरीर में वो उत्पात मचाती है की ब्लड प्रेशर को इतना बढ़ा देती है की इंसान लकवाग्रस्त तक हो जाता है या नस तक  फट जाती है  और हार्ट अटैक तक आ जाता है।
        सीने में जलन व गैस का दाब, हृदय पर दवाब , पेट में दर्द , पेट में गुड़गुड़ाहट , कब्ज़ , हिचकियाँ  और मल में दुर्गंध आना गैस का ही कारण है। 

गैस अधिक बनने के कारण -
 (1) कुछ लोग बहुत तेजी से खाना खाते हैं जिससे खाना भी अधिक खाया जाता है साथ ही गैस भी अधिक बनती है। 
 (2) स्वास्थ्य की दृष्टि से भोजन केवल दो बार ही करना चाहिए जबकि कुछ लोग दिन भर कुछ न कुछ खाते रहते हैं साथ ही भोजन भी करते रहते हैं। 

(3) ईश्वर ने खाने के लिए  मुँह में 32 दांत दिए हैं अतः भोजन के एक निबाले को कम से कम 32 बार चबाना चाहिए जबकि कुछ लोग खाने को चबाते कम और निगलते ज्यादा हैं जो गैस बनने का मुख्य कारण है। 

(4) आजकल डायटिंग एक मुख्य समस्या बनी हुई है ,जो लोग थोड़े से मोटे हो जाते हैं वो डायटिंग शुरू कर देते है यह भी गैस बनने का एक कारण है। 

(5) भोजन के साथ पानी पीना या भोजन के तत्काल बाद ही पानी पीना पेट की समस्याओं और गैस की समस्याओं को जन्म देता है। 

(6) ध्रूमपान करने , पान तम्बाकू करने या फिर किसी भी तरह के नशीले पदार्थ का सेवन करने से पेट में कब्ज़ तथा गैस की समस्या उत्पन्न होती है।  

गैस बनाने वाले पदार्थ -
  (1) फास्टफूड , अधिक चिकनाई युक्त पदार्थ, तेज किस्म के मसाले , डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ , कैफीन युक्त पेय पदार्थ,  बिना फाइबर युक्त भोजन , बासी भोजन , अधिक अम्लीय पदार्थ  आदि। 

(2) सब्जियां - इनमे प्रमुख हैं फली वाली सब्जियां  जैसे -चना , राजमा ,लोबिया , सूखी मटर , अरहर की दाल, मूंग आदि। मूली और गोभी भी अधिक गैस बनाती हैं। 
(3) अवसाद (डिप्रेशन), तनाव और पर्याप्त नींद न लेना भी गैस बनने के कारण हैं। 

गैस का निवारण -
  (1) भोजन को दांतो से ही पीसें उसको पीसने में आंतो को अधिक श्रम ना करना पड़े और जो काम दांत का है  वो दांत ही करें वरना पेट संबंधी समस्या उत्पन्न हो जाएगी भोजन को जितना अधिक चबाएंगे  मुँह की लार उतना ही  अधिक पेट में जाएगी  जिससे लार में उत्पन्न तत्व (टायलिन ) शरीर में पहुंचेगा और पाचन ठीक प्रकार से होगा तो गैस भी नहीं बनेगी ।

(2)खाना जिस  समय का भी  लें पर पानी हमेशा खाने के एक घंटे बाद ही पियें , बीच में एक या दो  घूंट पिया जा सकता है।अगर आप भोजन के तुरंत बाद पानी पीते हैं तो भोजन पचेगा जी बल्कि सड़ेगा और यही गैस को पैदा करेगा। 

(3) सुबह और शाम दोनों समय मल का त्याग अवश्य करें कुछ लोग प्रातः ही मल त्याग करते हैं जो की गलत है क्योंकि जब हम खाते दोनों समय हैं तो मल त्याग भी दोनों ही समय करना चाहिए। 

(4) खाने के बाद 20 मिनट वज्रासन में अवश्य बैठें। 

(5) प्रातः काल उठते ही दो गिलास पानी अवश्य पियें और वो भी बिना कुल्ला किये , हमारे मुँह में बनी रात की लार हमारे पेट में सुबह को पानी के साथ जाए।  आप देखिये एक सप्ताह में ही आपमें कितना परिवर्तन आता है और स्वम को कितना अच्छा महसूस करते हो । 

(6) भुनी हुई हींग पीसकर सब्जी में डालकर खाने से गैस की समस्या समाप्त होती है। 

(7) एक छोटा चम्मच हिंग्वाष्टक चूर्ण प्रातः और रात भोजन के बाद लेने से पेट की गैस की समस्या दूर होती है। 

(8) पेट पर नाभि के चारो तरफ दायीं से बायीं और को सरसों के तेल की मालिश करने से गैस नहीं बनती। 

(9) छोटी हरड़ का चूर्ण और लवण भास्कर चूर्ण सामान मात्रा में लेकर शीशी में भरकर रख लें।  इसे आधा चम्मच पानी के साथ दिन में एक बार लें। पेट की बहुत सी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। 

(10)पुष्कर मूल , सोंठ ,कालानमक ,हींग, अजवायन सभी को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें नाश्ता तथा खाने के बाद एक एक चम्मच चूर्ण गर्म पानी से लें। 





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